हरियाणा विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को पंचकूला के इंद्रधनुष ऑडिटोरियम में तथाकथित ‘संविधान सम्मान समारोह’ आयोजित करने पर आड़े हाथ लिया है। गुप्ता ने कहा कि आजादी के बाद से ही कांग्रेस का पूरा इतिहास संविधान की धज्जियां उड़ाने का रहा है। इसलिए कांग्रेस नेताओं को संविधान पर बात करने से पहले अपने गिरेबां में झांकना चाहिए।
पंचकूला विधान सभा क्षेत्र के गांव भानू, रामगढ़, सुखदर्शनपुर, नया गांव, रैली, रैला और इंदिरा कॉलोनी, राजीव कॉलोनी में चुनाव प्रचार पर निकले गुप्ता ने कहा कि कांग्रेस ने हरियाणा में अपने सामर्थ्य का ठीक से अनुमान लगा लिया है। इसके चलते उनके शीर्ष नेता राहुल गांधी भी पंचकूला में रैली नहीं कर पा रहे और इंडोर कार्यक्रम कर चुनाव प्रचार अभियान की खानापूर्ति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हार की आशंका से कांग्रेस डर और लालच की राजनीति पर उतर आई है।
हरियाणा विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि आजकल राहुल गांधी अपनी जनसभाओं में संविधान की किताब लेकर पहुंचते हैं, लेकिन कांग्रेस ने अतीत में संविधान की अवमानना करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। 1962 से 1965 तक जवाहरलाल नेहरू के समय में कई राज्यों में निर्वाचित सरकारों को बर्खास्त किया गया और वहां पर राष्ट्रपति शासन लागू किया गया। यह संवैधानिक प्रावधानों का जमकर दुरुपयोग था।
उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी की सरकार ने 1975 में देश में आपातकाल लागू किया, जो 21 महीनों तक चला। इस दौरान नागरिक अधिकारों को निलंबित किया गया, प्रेस पर सेंसरशिप लगाई गई और बड़ी संख्या में विपक्षी नेताओं को जेल में डाला गया। लोकतंत्र के इतिहास में इससे काला अध्याय नहीं हो सकता। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए सिख विरोधी दंगे भी कांग्रेस नेताओं ने करवाए थे। इन दंगों में हजारों सिख मारे गए थे। नागरिक अधिकारों का इस प्रकार से हनन दुनिया में नहीं देखा गया।
1985 में शाह बानो केस में सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुस्लिम महिला के पक्ष में फैसला सुनाए जाने के बाद राजीव गांधी सरकार ने मुस्लिम पर्सनल लॉ में संशोधन किया। यह संशोधन कांग्रेस की सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति थी। इससे न केवल सर्वोच्च न्यायालय की गरिमा को ठेस पहुंची बल्कि महिला अधिकारों पर भी कुठाराघात किया गया। इससे साबित हो गया कि यह पार्टी वोट बैंक के लिए किसी भी हद तक गिर सकती है।
राहुल गांधी ने 27 सितंबर 2013 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा लाए गए एक अध्यादेश की प्रति को सार्वजनिक रूप से फाड़ दिया था। इससे राहुल गांधी की विधायी प्रक्रिया के प्रति उनकी गंभीरता और अपने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के प्रति सम्मान की भावना को साफ रूप से देखा जा सकता है। गुप्ता ने कहा कि इस प्रकार के लोग जब संविधान सम्मान समारोह के नाम पर जनता को बरगलाने का काम करते हैं, लोग इनके झांसे में नहीं आने वाले।