Ground Report : महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के नतीजे इसी साल के अंत में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव के लिहाज से भी अहम रहने वाले हैं। यह चुनाव भाजपा के नेतृत्व में शिवसेना शिंदे और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) अजित पवार की महायुति और शिवसेना उद्धव के नेतृत्व में कांग्रेस और एनसीपी शरद पवार का महा विकास गठबंधन (एमवीए) के बीच हो रहा है। इसके नतीजे तय करेंगे कि आगामी विधानसभा चुनावों में महायुति और एमवीए की क्या यही सूरत बनी रहेगी या नतीजे इनका मौजूदा स्वरूप बदल देंगे। यह तय है कि जो दल ज्यादा सीटें जीतेगा उसी का विधानसभा की ज्यादा सीटों पर दावा होगा और वही चुनाव में गठबंधन का नेतृत्व करेगा। ऐसे में सीटों के बंटवारे के सवाल पर संभव है कि पार्टियां फिर से पाला बदलें और आज के दोस्त कल के दुश्मन और आज के दुश्मन कल दोस्त बन जाएं।
कौनसी टीम कितनी सीटों पर चल रही है चुनाव
पिछला लोकसभा चुनाव जब भाजपा और टूटने से पहले की शिवसेना ने मिलकर लड़ा, तब भाजपा 25 सीटों पर लड़ कर 23 पर जीती थी, वहीं शिवसेना 23 सीटों पर चुनाव लड़ कर 18 पर जीती थी। इस बार के गणित के हिसाब से देखा जाए तो सबसे ज्यादा 28 लोकसभा सीटों पर भाजपा, दूसरे नंबर पर 21 सीटों पर शिवसेना उद्धव के प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा इस बार 3 ज्यादा सीटों पर तो शिवसेना के दोनों धड़े (21 15) कुल 36 सीटों पर मैदान में हैं। सीटों के बंटवारे के अनुसार महायुति में शिवसेना शिंदे 15, एनसीपी अजित पवार 4 सीटों पर मैदान में है तो महा विकास अघाड़ी में कांग्रेस 17 और एनसीपी शरद पवार 10 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। शिवसेना के दोनों धड़ों का अपने-अपने गठबंधन में भविष्य जीती जाने वाली सीटों की संख्या पर निर्भर करेगा।
क्या इस बार दोहराएगा इतिहास
पिछला विधानसभा चुनाव भाजपा और टूटने से पहले की शिवसेना ने मिलकर लड़ा था, लेकिन नतीजे आने के बाद मुख्यमंत्री पद के विवाद के चलते शिवसेना ने भाजपा का साथ छोड़ दिया। ऐसे में राज्यपाल ने 288 सदस्यों की विधानसभा में 105 सीटें जीतने वाले सबसे बड़े दल भाजपा के नेता देवेंद्र फड़णवीस को रातों-रात मुख्यमंत्री और एनसीपी के अजित पवार को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी थी। हालांकि अजित पवार के साथ एनसीपी के विधायक नहीं आने से बहुमत नहीं हो पाया और फड़णवीस को इस्तीफा देना पड़ा। बाद में उद्धव के नेतृत्व में एमवीए की सरकार बनी। करीब ढाई साल तक चलने के बाद यह सरकार एकनाथ शिंदे के शिवसेना तोड़ कर भाजपा के साथ मिल जाने से गिर गई। विडंबना यह रही कि इस तोडफ़ोड़ के बाद जो सरकार बनीं उसमें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे बने जबकि मुख्यमंत्री रह चुके देवेंद्र फड़णवीस ने उप मुख्यमंत्री का पद स्वीकार कर लिया। ऐसे में लोकसभा चुनाव में यदि शिवसेना शिंदे पर्याप्त सीटें नहीं जीत पाई तो मुख्यमंत्री पद से उसे हाथ धोना पड़ सकता है। तब क्या शिंदे भाजपा के मुख्यमंत्री के साथ खुद उप मुख्यमंत्री बनना स्वीकार करेंगे और भाजपा के साथ महायुति में बने रहेंगे या सत्ता के लिए फिर समीकरण बदलेंगे। यह सवाल अहम होगा।
सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ रही शिवसेना
इसी तरह एमवीए में सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ रही शिवसेना उद्धव की स्थिति इन चुनावों में कमजोर हुई तो विधानसभा चुनावों में उसका ज्यादा सीटों पर दावा कमजोर हो जाएगा और एमवीए में कांग्रेस और एनसीपी हावी होने की कोशिश करेगी। ऐसी सूरत में शिवसेना उद्धव एमवीए में बनी रहेगी या नहीं यह सवाल अहम रहेगा। एमवीए में शिवसेना उद्धव के बाद कांग्रेस सबसे ज्यादा 17 सीटों पर किस्मत आजमा रही है, जो पिछले लोकसभा चुनाव में 25 सीटों पर लड़ कर सिर्फ एक ही जीत पाई थी। टूटने से पहले की एनसीपी ने उस समय 19 सीटों पर चुनाव लड़ा और चार सीटें जीती थी।
चार जून को जारी होगा परिणाम
लोकसभा चुनाव के चार जून को आने वाले नतीजे तय करेंगे कि आगामी विधानसभा चुनावों में महायुती और महा विकास अघाड़ी में किस दल की चलेगी, कौन बड़ा भाई और कौन छोटा भाई होगा। लोकसभा चुनाव में सीटों का बंटवारा करते समय जिस दल ने जितनी और जो-जो सीटें ली हैं उनमें से ज्यादातर पर जीत दर्ज नहीं कर पाता है तो उस दल की विधानसभा चुनावों में सीटों पर दावेदारी कमजोर होगी। इस पर सीटों को लेकर फिर घमासान मच सकता है। ऐसे में कौनसा दल किस गठबंधन में रहेगा और कौनसा छोड़ जाएगा यह देखना दिलचस्प होगा।