लोकसभा चुनाव 2024 से पहले भारत में अल्पसंख्यकों के हालात से जुड़े सवाल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ा बयान दिया है. ‘न्यूजवीक’ मैग्जीन को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा- ये कुछ लोगों की सामान्य आदत है, जो दायरे से बाहर के लोगों से मिलने की जहमत नहीं उठाते. यहां तक कि भारत के अल्पसंख्यक भी अब इस नैरेटिव (आख्यान) को स्वीकार नहीं करते हैं. सभी धर्मों के अल्पसंख्यक (चाहे वे मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध, सिख, जैन या यहां तक कि पारसी जैसे सूक्ष्म-अल्पसंख्यक हों) भारत में खुशी से रह रहे हैं और संपन्न हो रहे हैं.
नरेंद्र मोदी के मुताबिक, “हमारे देश में पहली बार जब योजनाओं और पहलों की बात आती है तो हमारी सरकार एक अद्वितीय संतृप्ति कवरेज दृष्टिकोण लेकर आई है. वे किसी विशेष समुदाय या भूगोल से संबंधित लोगों के समूह तक सीमित नहीं हैं. वे सभी तक पहुंचने के लिए हैं, जिसका मतलब है कि वे इस तरह से डिजाइन किए गए हैं कि कोई भेदभाव नहीं हो सकता है. चाहे वह घर, शौचालय, जल कनेक्शन या खाना पकाने के ईंधन जैसी सुविधाएं हों या संपार्श्विक मुक्त ऋण या स्वास्थ्य बीमा हो, यह समुदाय और धर्म की परवाह किए बिना हर नागरिक तक पहुंच रही है.”
नरेंद्र मोदी, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बाद न्यूजवीक के कवर पर आने वाले पहले पीएम हैं. उन्होंने मैग्जीन से बातचीत के दौरान नेतृत्व, यूपी में अयोध्या के राम मंदिर, जम्मू कश्मीर, पाकिस्तान, चीन, महिलाओं के स्टेटस, आर्थिक विकास और डिजिटल पेमेंट्स से लेकर लोकसभा चुनाव 2024 से जुड़े सवालों पर बेबाकी से राय रखी. पढ़िएः
लोकसभा चुनाव 2024 पर बोले- भारत एक अपवाद…
लोकसभा चुनाव 2024 के बारे में पूछे जाने पर पीएम बोले, “हमारे पास वादे पूरा करने का शानदार ट्रैक रिकॉर्ड है. यह लोगों के लिए बहुत बड़ी बात थी. ऐसा इसलिए क्योंकि वे ऐसे वादे करने के आदी थे, जो कभी पूरे नहीं होते थे. हमारी सरकार ने सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास के आदर्श वाक्य के साथ काम किया है. लोगों को यह भरोसा है कि अगर हमारे कार्यक्रमों का लाभ किसी और को मिला है तो उन तक भी पहुंचेगा. लोगों ने देखा कि भारत 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से आगे बढ़कर पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. अब देश की आकांक्षा है कि भारत जल्द ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बने. दूसरे कार्यकाल के अंत तक सबसे लोकप्रिय सरकारें भी समर्थन खोने लगती हैं. विश्व में पिछले कुछ साल में सरकारों के प्रति असंतोष भी बढ़ा है. ऐसे में भारत एक अपवाद के रूप में खड़ा है, जहां हमारी सरकार के लिए लोकप्रिय समर्थन बढ़ रहा है.”
भारत-चीन सीमा विवाद पर की टिप्पणी
इंटरव्यू के दौरान भारतीय पीएम से चीन को लेकर भी सवाल पूछे गए थे. उन्होंने इन पर कहा, “भारत के लिए चीन के साथ रिश्ते अहम हैं. मेरा मानना है कि हमें सीमाओं पर लंबे समय से चल रही स्थिति को तत्काल संबोधित करने की जरूरत है ताकि हमारी द्विपक्षीय बातचीत में असामान्यता को पीछे छोड़ा जा सके. भारत और चीन के बीच स्थिर और शांतिपूर्ण संबंध न केवल हमारे दोनों देशों के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र और दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं. मुझे आशा और विश्वास है कि राजनयिक और सैन्य स्तरों पर सकारात्मक और रचनात्मक द्विपक्षीय जुड़ाव के माध्यम से हम सीमाओं पर शांति और स्थिरता बहाल करने और बनाए रखने में सक्षम होंगे.”
पाकिस्तान के इमरान खान पर नहीं किया कमेंट
पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को लेकर जब नरेंद्र मोदी से पूछा गया तो वह बोले, “मैंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को पदभार ग्रहण करने पर बधाई दी है. भारत ने हमेशा क्षेत्र में आतंक और हिंसा से मुक्त माहौल में शांति, सुरक्षा और समृद्धि को आगे बढ़ाने की वकालत की है.” आगे वहां के पूर्व पीएम इमरान खान की कैद के बारे में सवाल हुआ तो वह दो टूक बोले- मैं पाकिस्तान के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी नहीं करूंगा.
लोकतंत्र और फ्री PRESS पर क्या बोले PM?
नरेंद्र मोदी ने कहा, “हम लोकतंत्र हैं, सिर्फ इसलिए नहीं कि हमारा संविधान ऐसा कहता है बल्कि इसलिए भी कि यह हमारे जीन में है. भारत लोकतंत्र की जननी है. चाहे वह तमिलनाडु का उत्तरामेरूर हो, जहां आप 1100 से 1200 साल पहले के भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों के बारे में शिलालेख पा सकते हैं या हमारे धर्मग्रंथों के बारे में बात कर सकते हैं जो व्यापक-आधारित सलाहकार निकायों की ओर से राजनीतिक शक्ति का प्रयोग करने का उदाहरण देते हैं. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में साल 2019 के आम चुनावों में 600 मिलियन से अधिक लोगों ने मतदान किया था. अब से कुछ महीनों में 970 मिलियन से अधिक पात्र मतदाता मताधिकार का प्रयोग करेंगे. मतदाताओं की लगातार बढ़ती भागीदारी भारतीय लोकतंत्र के प्रति लोगों की आस्था का बहुत बड़ा प्रमाण पत्र है.”
पीएम आगे बोले- हिंदुस्तान जैसा लोकतंत्र केवल इसलिए आगे बढ़ने और कार्य करने में सक्षम है क्योंकि वहां एक जीवंत फीडबैक सिस्टम है और हमारा मीडिया इस बाबत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. हमारे पास लगभग 1.5 लाख रजिस्टर्ड मीडिया प्रकाशन और सैकड़ों समाचार चैनल हैं. भारत और पश्चिम में कुछ लोग ऐसे हैं जिन्होंने भारत के लोगों के साथ अपनी विचार प्रक्रियाओं, भावनाओं और आकांक्षाओं को खो दिया है. ये लोग वैकल्पिक वास्तविकताओं के प्रतिध्वनि कक्ष में भी रहते हैं। वे मीडिया की स्वतंत्रता कम होने के संदिग्ध दावों के साथ लोगों के साथ असंगति जोड़ते हैं.