हरदा जिला मुख्यालय का मगरधा रोड मंगलवार को धमाकों से दहल उठा। तीन माह से बिना लाइसेंस चल रही पटाखा फैक्ट्री सोमेश फायर वर्क्स में सुबह 11.10 बजे धमाका हुआ। फैक्ट्री में 32 बड़े कंपार्टमेंट में रखे बारूद से एक के बाद एक धमाके होने लगे। आग विकराल हो उठी और आसपास की बस्ती को चपेट में ले लिया। रात 9 बजे तक 14 लोगों की मौत हो गई। इनमें दो हमीदिया भोपाल व 1 नर्मदापुरम में हुई है। 174 से ज्यादा घायलों को 151 एंबुलेंस से हरदा, भोपाल, इंदौर, खंडवा, नर्मदापुरम के अस्पतालों में भेजा है। धमाका ऐसा था कि फैक् से 400 मीटर दूर तक लोगों के क्षत-विक्षत अंग गिरे। गोशाला गेट पर एक हाथ कटकर गिरा। गेहूं के खेत में भी हाथ, जबड़ा गिरे। फैक्ट्री के पिलर कचरे की तरह रोड पर आ गिरे। इससे बाइक, कार से जा रहे लोग भी उछलकर दूर जा गिरे। फैक्ट्री में 100 से अधिक श्रमिकों के होने की संभावना है। महिलाएं-नाबालिग ज्यादा हो सकती हैं। देर रात फैक्ट्री मालिक राजेश अग्रवाल, भाई सोमेश समेत तीन को राजगढ़ के सारंगपुर से गिरफ्तार किया गया।
फैक्ट्री मालिक राजू और भाई गिरफ्तार फैक्ट्री में पहले भी हादसों में मौतें हो चुकी हैं। मौतों के मामले में फैक्ट्री मालिक राजेश (राजू) अग्रवाल को सजा मिली है। वह जमानत पर है। आतिशबाजी के काम के लिए जमीन देने पर भूमि मालिक दिनेश शर्मा को भी सजा सुनाई है। वह भी जमानत पर है। मालिक और प्रशासन बराबर का जिम्मेदार घटना के लिए हरदा प्रशासन फैक्ट्री मालिक के साथ बराबर का जिम्मेदार है। फैक्ट्री के पास सैकड़ों लोग रहते हैं। फिर भी प्रशासन ने खतरनाक फैक्ट्री को अनुमति दी। पिछले साल अनफिट बताकर प्रशासन ने सील किया, तो नर्मदापुरम कमिश्नर ने लाइसेंस बहाल कर दी।
10वीं की पढ़ाई कर रही थी कोमल
फैक्ट्री से 150 मीटर दूर अपने घर की छत पर कोमल 10वीं बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रही थी। तभी जोरदार धमाका हुआ। ईंट-पत्थरों के साथ जलते पटाखे बरसने लगे। इसमें वह घायल हो गई। उसे इंदौर के एमवाय अस्पताल में भर्ती कराया गया।
कॉलम और बीम राहगीरों पर गिरे, 100 मीटर दूर क्षत-विक्षत अंग सुबह तेज धमाके की आवाज आई। बस्ती के लोग देखने पहुंचे। राहगीर भी गाड़ी धीमी कर देख रहे थे। तभी दूसरा धमाका हुआ। यह इतना तेज था कि फैक्ट्री के सीमेंट के कॉलम-बीम उछलकर 100 मीटर दूर रोड से गुजर रहे लोगों पर गिर गए। इसमें बड़ी संख्या में लोग घायल हुए। हर तरफ खून ही खून था। लोग बचाने की गुहार लगा रहे थे। बस्ती में भगदड़ मची थी।
(जैसा कि प्रत्यक्षदर्शी संतोष प्रजापति ने बताया)
पैसे लेने का दिन था, 400 लोग गए, श्रमिकों का पता नहीं
सुबह तेज धमाके की आवाज आई। बस्ती के लोग देखने पहुंचे। राहगीर भी गाड़ी धीमी कर देख रहे थे। तभी दूसरा धमाका हुआ। यह इतना तेज था कि फैक्ट्री के सीमेंट के कॉलम-बीम उछलकर 100 मीटर दूर रोड से गुजर रहे लोगों पर गिर गए। इसमें बड़ी संख्या में लोग घायल हुए। हर तरफ खून ही खून था। लोग बचाने की गुहार लगा रहे थे। बस्ती में भगदड़ मची थी। फैक्ट्री में रोजाना करीब 300 कर्मचारी काम करते हैं। विस्फोट के समय काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या अभी साफ नहीं है। बताते हैं, तलघर में बारूद भरा था। छत पर सुतली बम बनाए जा रहे थे। छत पर जाने वाली सीढ़ी कम जगह में बनी है। ब्लास्ट होने से छत धंसी और लोग फंस गए।
बताते हैं, बैरागढ़ के 200 परिवार पटाखा फैक्ट्री में काम करते थे। कई लोगों का पूरा परिवार ही इसमें काम करता है। मंगलवार को पैसे लेने का दिन था। गांव के करीब 400 लोग पैसे लेने गए थे। कई का पूरा परिवार खत्म हो गया।
174 से ज्यादा घायल
(हरदा से हरिचरण यादव)
रात के 12.06 बजे पत्रिका टीम मगरधा की उस पटाखा फैक्ट्री के अंदर पहुंची, जहां सुबह 11.10 बजे से एक के बाद एक कई धमाकों ने तीव्र गति वाले भूकंप जैसे झटकों से पूरे हरदा को हिला कर रख दिया था। इन झटकों के बाद से हरदा के लोग चीख-चीख कर कह रहे हैं कि फैक्ट्री के अंदर 24 या 10 नहीं, बल्कि कई जानें गई। लेकिन निष्ठुर प्रशासनिक व्यवस्था और इससे जुड़े अफसरों को यह चीख सुनाई नहीं देती। उनके कान खुले होते तो फैक्ट्री के अंदर मृतकों को खोजने के लिए संवेदनशीलता दिखाई देती। इसके उलट क्रूरता नजर आई। यही कारण रहा रात 12.20 बजे तक करीब 2 एकड़ में फैली फैक्ट्री के 40 प्रतिशत हिस्से को समतल कर दिया गया। इसके लिए 10 से 12 पोकलेन मशीनें और जेसीबी चलाई जा रही थी। जो भी सामने दिखा, उसे समतल कर दिया। फिर चाहे कोई मृतक कर्मचारी का शव भी क्यों ना हो…मृतकों की खोज के लिए हर जेसीबी और पोकलेन के सामने के हिस्से पर बचाव दल होना था, लेकिन यह दल नजर नहीं आया। इन मशीनों में केवल ऑपरेट करने वाले 1-1 ड्राइवर ही थे। पत्रिका टीम को दूर कुर्सियों पर बैठे पुलिस के कुछ अफसर दिखे, वे भी फोन पर मशगूल थे। आपदा प्रबंधन से जुड़े कुछ वर्दीधारियों को चिंता थी कि उजाला होने के पहले इस क्षेत्र के मलबे को पूरी तरह समतल कर दें।
जो लाश मिली, वे राहगीरों की, फैक्ट्री वाला कोई नहीं
फैक्ट्री से एक किलोमीटर की दूरी रहने वालों ने बताया, हमारे घर के आगे दो किमी तक खिड़की के कांच टूटे हैं। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि तीन मंजिला फैक्ट्री के अंदर जितने भी लोग थे, उनमें से शायद ही कोई बचा हो। अभी जो लाश मिली है या घायल मिल रहे हैं, वह तो धमाके के वक्त फैट्री के सामने से गुजर रहे थे, उन लोगों के हैं। इनमें से कुछ ऐसे भी थे, जो खेतों में काम कर रहे थे।
तहखाना था…जांच करने गया तो भूलभुलैया में फंसा
फैक्ट्री क्या थी वह तो तहखाना था। मैं जांच करने गया था जो अंदर भूल भुलैया में फंस गया। बाहर निकलने के लिए वहीं के कर्मचारियों से मदद लेनी पड़ी। ऊपर 32 कमरे से ज्यादा होंगे। इनमें कितना बारूद था, मैं और मेरी टीम अंदाजा नहीं लगा सकी। यह कहना है, पटाखा फैक्ट्री जांच करने वाले एक अफसर का। उन्होंने कहा, जांच के लिए जब भी जाते थे, फैक्ट्री का नामित व्यक्ति नहीं मिलता था।
जांच समिति बनाई
4-4 लाख की राहत का ऐलान मुयमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आपात बैठक की। राहत व कार्रवाई के निर्देश दिए। जांच के लिए स्वास्थ्य एसीएस मो. सुलेमान की अगुवाई में समिति बनाई है। समिति की रिपोर्ट पर कार्रवाई होगी। सीएम ने मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपए मुआवजे का ऐलान किया है। घायलों की भी आर्थिक मदद की जाएगी। वहीं, पीएम नरेंद्र मोदी ने भी मृतकों के परिजनों को दो लाख रुपए और घायलों को 50 हजार की आर्थिक मदद देने की घोषणा की। सीएम ने छिंदवाड़ा में रात्रि विश्राम स्थगित कर दिया। दोपहर 12.30 बजे मंत्री उदयप्रताप सिंह, एसीएस अजीत केसरी, डीजी-होम गार्ड अरविंद कुमार को हेलिकॉह्रश्वटर से भेजा। सीएम ने सभी कलेटर और कमिश्नरों से २४ घंटे में पटाखा कारोबार से जुड़ी रिपोर्ट मांगी है। सीएम बुधवार को हरदा जाएंगे।