Jaipur Literature Festival 2024 : कांग्रेस अगर अपनी हालत में सुधार चाहती है तो उसे गांधी परिवार से बाहर सोचना होगा। मेरे पिता ने केवल राहुल गांधी को अपरिपक्व कहकर उनकी आलोचना की लेकिन उसे कांग्रेस की आलोचना मान लिया गया। मेरे पिता ने अपना सारा जीवन कांग्रेस को दिया। वह इंदिरा गांधी के अंधभक्त थे लेकिन मेरी किताब आने के बाद हम दोनों को बुरी तरह से ट्रोल किया गया। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में सोमवार को अपने पिता पर लिखी किताब प्रणब माई फादर: अ डॉटर्स रिमेंबर्स पर चर्चा करते हुए शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपने पिता प्रणब मुखर्जी को लेकर कहा कि मौत से छह साल पहले ही उन्हें अपनी डायरी में कांग्रेस की हालत पर चिंता जताई थी। उन्होंने लिखा था कि कांग्रेस के अंदर भी लोकतंत्र जरूरी है। जमीनी और बूथ लेवल कार्यकर्ताओं को अहमियत मिलनी चाहिए। किताब आने के बाद तो यह भी कहा जाने लगा था कि वह बीजेपी में जाना चाहती हैं, जबकि वह एक हार्डकोर कांग्रेसी हैं। शर्मिष्ठा ने कहा कि मेरे पिता की निष्ठा पर सवाल नहीं उठाने चाहिए। मेरे पिता इंदिरा गांधी पर आंख बंद कर भरोसा करते थे। वह हमेशा धोती कुर्ता पहनते थे लेकिन 1972 में वह जब मंत्री बने तो इंदिरा गांधी के कहने पर बंद गले का सूट पहनना शुरू किया था।
नहीं चाहते थे सरकार बने
यूपीए सरकार के दोनों कार्यकाल के दौरान प्रणब नहीं चाहते थे कि यूपीए सरकार बनाए। उनका कहना था कि एक कमजोर सरकार बनाने से बेहतर मजबूत विपक्ष बनना है। उन्होंने सोनिया को साफ कहा था कि गठबंधन की सरकार में हमें दूसरे दलों के रहमो-करम पर रहना होगा। लेकिन सोनिया नहीं मानीं।
जनता ने बनाया आरएसएस प्रचारक को प्रधानमंत्री
राष्ट्रपति पद से हटने के बाद 2018 में प्रणब नागपुर में आरएसएस के एक कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे थे। तब शर्मिष्ठा ने उनसे काफी जिद-बहस की थी। तब प्रणब का कहना था कि मैं आरएसएस को वैधता नहीं दे रहा हूं। जनता ने एक आरएसएस प्रचारक को इस देश को प्रधानमंत्री चुन कर उसे पहले ही वैधता दे दी है।
जोर से डांटा था इंदिरा ने
वर्ष 1980 में प्रणब ने घर वालों और यहां तक कि इंदिरा गांधी के मना करने के बावजूद चुनाव लड़ा और हार गए। तब इंदिरा गांधी उन पर बहुत चिल्लाई थीं। संजय गांधी ने जब कहा कि प्रणब को बैठ जाने दो, तब भी उन्होंने उन्हें खड़े ही रखा। प्रणब इसे अपने प्रति इंदिरा गांधी का स्नेह मानते थे।
प्रधानमंत्री बनने के बाद भी बुलाते थे सर
मनमोहन सिंह जब प्रधानमंत्री बने, तब भी प्रणब मुखर्जी को सर ही बुलाते थे क्योंकि एक वक्त ऐसा था जब प्रणब वित्त मंत्री थे और मनमोहन सिंह आरबीआई गवर्नर। तब प्रणब ने कहा था कि आप प्रधानमंत्री नहीं हैं, आप मुझे सर नहीं बुला सकते। प्रणब मानते थे कि मनमोहन सिंह जैसा जेंटलमैन उन्होंने नहीं देखा।
बनना चाहते थे प्रधानमंत्री
शर्मिष्ठा ने कहा कि यह सही है कि उनके पिता प्रधानमंत्री बनना चाहते थे और इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सबने यही सोचा था कि वही अंतरिम प्रधानमंत्री बनेंगे। कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता भी राजीव की कैबिनेट का हिस्सा न होने के कारण किसी बाहरी व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनाए जाने के खिलाफ थे और शायद यही वजह थी कि चुनाव जीतने के बाद जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने तो सबसे पहले उन्होंने इंदिरा के तीन करीबियों प्रणब, आर के धवन और ज्ञानी जैल सिंह को बाहर कर दिया था। राजीव का कहना था कि प्रणब का अपने मुताबिक चलाना मुश्किल है। हालांकि बाद में परिस्थितियां फिर बदलीं।