मुगल बादशाहों में कोई बादशाह किसी खास धर्म के विरोधी गतिविधियों के लिए जाना गया तो कोई बादशाह सभी धर्म को लेकर आगे बढ़ा, जिसमें अकबर का नाम भी शामिल है. कहा जाता है कि अकबर हर धर्म का आदर करता था.
हालांकि, अकबर और रामचरितमानस के रचयिता तुलसीदास जी को लेकर भी कई कहानियां प्रचलित हुईं. कहा जाता है कि एक बार अकबर ने तुलसीदास जी को गिरफ्तार कर लिया था और जेल में बंदी बना दिया था. तो जानते हैं ये क्या कहानी है और अकबर ने तुलसीदास जी को क्यों गिरफ्तार किया था. बता दें कि इस किस्से से ही हनुमान चालीसा के लिखे जाने की कहानी भी जुड़ी है तो जानते हैं इससे जुड़ी हर एक बात…
क्या है ये कहानी?
कहा जाता है कि अकबर के शासन के दौरान तुलसीदास भी थे और वे अपनी भक्ति और तप के लिए जाने जाते थे. एक बार उन्होंने कुछ चमत्कार किया था और इस चमत्कार की जानकारी अकबर को लग गई थी. तुलसीदास जी के बारे में जानने के बाद अकबर ने तुलसीदास जी को अपने दरबार में बुलाने का आदेश दिया. उस वक्त तुलसीदास को बादशाह के दरबार में आने के लिए कहा गया, जिस पर तुलसीदास ने कहा कि उनके बादशाह श्रीराम हैं. फिर उन्हें जबरदस्ती अकबर के दरबार में लाया गया.
अकबर के दरबार में भी तुलसीदास जी ने बिना डर के बार-बार कहा कि वो भगवान राम के सामने झुकते हैं और भगवान राम ही उनके बादशाह हैं. इस बात से गुस्सा होकर अकबर ने उन्हें जेल में डाल दिया और कहा गया कि अब देखते हैं भगवान राम उन्हें कैसे बचाते हैं. कहा जाता है कि इसके बाद तुलसीदास ने वहां हनुमान चालीसा की रचना की, जिसे पढ़ने के बाद कई बंदर वहां आ गए और अकबर के महल पर हमला कर दिया. इससे सभी सैनिक घबरा गए और उसके बाद उन्हें अहसास हुआ कि तुलसीदास को बचाने के लिए ये बंदर आए. फिर अकबर ने तुलसीदास जी से क्षमा मांगी.
यह कहानी काफी प्रचलित है, लेकिन अभी तक इंटरनेट पर इसका कोई खास प्रमाण मौजूद नहीं है. इससे जुड़ी अकबर और तुलसीदास जी की कहानियां काफी चलन में हैं, जिसमें तुलसीदास की सादगी और महानता के बारे में बताया गया है.