प्रतिष्ठित अमरीकी अखबार ‘फाइनेंशियल टाइम्स’ को प्रधानमंत्र नरेंद्र मोदी ने एक इंटरव्यू दिया है। इस इटरव्यू में उन्होंने कई मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी है। इंटरव्यू के दौरान जब प्रधानमंत्री मोदी से मुसलमानों को लेकर सवार किया गया तो उन्होंने मुसलमानों के लिए भारत को जन्नत बताया है। इसके साथ ही उन्होंने उन्होंने कनाडा विवाद और इजरायल-हमास संघर्ष पर भी खुलकर अपनी राय रखी है। वहीं, कनाडा के मुद्दे पर पीएम मोदी ने दो टूक कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में हिंसा का खेल हो रहा है।
भारत मुस्लिमों के लिए जन्नत
प्रधानमंत्र नरेंद्र मोदी ने फाइनेंशियल टाइम्स को इंटरव्यू दे रहे थे। इसी दौरान उनसे भारत में मुस्लिमों के भविष्य को लेकर सवाल पूछा गया। इस पर पीएम मोदी ने इसके बजाय भारत के पारसियों की आर्थिक सफलता की ओर इशारा करते हुए कहा कि वह भारत में रहने वाले धार्मिक माइक्रो माइनॉरिटी’ मानते हैं। रही बात मुसलमानों की तो वह भारत की धरती मुस्लिमों के लिए जन्नत है। दुनिया में अन्य जगहों पर उत्पीड़न का सामना करने के बावजूद उन्हें (मुसलमानों) भारत में एक सुरक्षित आश्रय मिल गया है, वे खुशी से रह रहे हैं और समृद्ध हो रहे हैं।
अमरीका के आरोप पर पहली बार बोले पीएम मोदी
वहीं, इंटरव्यू में प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका के आरोपों पर पहली प्रतिक्रिया देते हुए कहा किअगर कोई हमें कोई जानकारी देता है, तो हम निश्चित रूप से उस पर गौर करेंगे। अगर हमारे किसी नागरिक ने कुछ भी अच्छा या बुरा किया है तो हम उस पर गौर करने के लिए तैयार हैं। हमारी प्रतिबद्धता कानून के शासन के प्रति है।
स्वतंत्रता की आड़ में हिंसा का खेल
वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने कनाडा के प्रधानमंत्री के द्वारा लगाए गए आरोपों पर कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में हिंसा का खेल हो रहा है। स्वतंत्रता की आड़ में ये तत्व डराने-धमकाने और हिंसा भड़काने में लगे हुए हैं। हालांकि, उन्होंने इस बात से इनकार किया कि आरोपों से कनाडा की तरह डिप्लोमेसी भड़क उठेगी।
चीन से लेकर इजरायल युद्ध तक रखी अपनी बात
इंटरव्यू के दौरान भारत की तुलना चीन से किए जाने पर पीएम मोदी ने कहा कि आपने चीन के साथ तुलना की है, लेकिन भारत की तुलना अन्य लोकतंत्रों के साथ करना अधिक उपयुक्त हो सकता है। वहीं, हमास-इजरायल संघर्ष पर पीएम मोदी ने कहा कि मैं मिडिल ईस्ट इलाके के नेताओं के संपर्क में रहता हूं। अगर शांति की दिशा में प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए भारत कुछ भी कर सकता है, तो हम निश्चित रूप से ऐसा करें।