प्रदेश में लगातार बढ़ रहे हैं महिलाओं से दुराचार व बाल यौन शोषण के मामले
भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार लोगों को सुरक्षित माहौल देने में पूरी तरह नाकाम
चंडीगढ़, 02 अक्तूबर। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री, कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्य एवं हरियाणा कांगे्रस कमेटी की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार प्रदेश की महिलाओं व बच्चों को सुरक्षित माहौल देने में पूरी तरह नाकाम साबित हुई है। इसका प्रमाण महिलाओं से दुराचार व बाल यौन शोषण के मामलों में लगातार बढ़ोतरी है। प्रदेश सरकार को ऐसे मामलों की जांच में तेजी लाने के साथ ही महिलाओं व बच्चों के विरुद्ध होने वाले अपराधों की जांच महिला पुलिस से कराना सुनिश्चित करना चाहिए, ताकि पीड़ित अपना दर्द बिना किसी संकोच के बता सकें।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि पीड़ित महिलाओं व बच्चों की हालत को कोई महिला पुलिस अधिकारी अधिक गंभीरता से समझ सकती है। इसकी वजह महिला पुलिस कर्मियों का अपेक्षाकृत अधिक संवेदनशील होना भी होता है। महिला पुलिस अधिकारियों को पीड़ित की मनोवैज्ञानिक स्थिति समझने की भी ट्रेनिंग दी जानी चाहिए। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कितने दुर्भाग्य की बात है कि प्रदेश में महिलाओं से दुराचार व बच्चों के यौन शोषण के हर रोज औसतन 09 मामले आ रहे हैं। इसके बावजूद राज्य सरकार ने इन्हें रोकने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। इसके विपरीत नियम के मुताबिक महिलाओं से दुराचार व बच्चों के यौन उत्पीड़न के 42 फीसदी मामलों की जांच भी निर्धारित दो महीने के अंदर नहीं हो पा रही है।
कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार की संवेदनहीनता का पता इस बात से चलता है कि कितने ही मामलों में कोर्ट में चालान भी निर्धारित समय अवधि के बाद ही पेश किया जा रहा है। इससे न सिर्फ अपराधियों के हौसले बुलंद होते हैं, बल्कि पीड़ितों को भी न्याय मिलने में संदेह पैदा होने लगता है। कितनी ही बार सही जांच न होने के कारण आरोपी सबूतों के अभाव में अदालत से बरी भी हो जाते हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रदेश में संगठित अपराध लगातार बढ़ रहा है। आपसी वर्चस्व और ज्यादा से ज्यादा वसूली की लड़ाई में लगातार गैंगवार चल रही है, जिससे पता चलता है कि प्रदेश में फिरौती व रंगदारी वसूलने का कारोबार फल-फूल रहा है। जिन हाथों को रोजगार की जरूरत थी, वे मजबूरी में अब तमंचे उठाए घूम रहे हैं। इससे न कोई दुकानदार सुरक्षित बचा है, न ही कोई व्यापारी।