विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा के सत्र को संबोधित किया। संयुक्त राष्ट्र महासभा वर्तमान में अपनी 78वीं वार्षिक सभा आयोजित कर रही है। जयशंकर विधानसभा में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं।
इस दौरान अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में एस जयशंकर ने कहा कि विश्व इस वक्त उथल-पुथल का असाधारण दौर देख रहा है। उन्होंने एजेंडाधारी देशों को भी निशाने पर लिया और कहा कि उनके पुराने दिन अब खत्म हो चुके हैं।
जयशंकर ने कहा कि वे दिन अब गए जब कुछ देश एजेंडा तय करते थे और उम्मीद करते थे कि दूसरे भी उनके साथ आ जाएंगे। विदेश मंत्री का इशारा चीन की ओर था। उन्होंने UNSC में बदलावों की भारत की मांग को दुनिया के सामने दोहराया।
उन्होंने कहा समय बदल रहा है, अब दूसरे देशों की बात सुननी होगी। भारत के विदेश मंत्री ने कहा कि अब कूटनीति और बातचीत से ही तनाव कम हो सकता है। एस जयशंकर ने भारत की अध्यक्षता में हुई जी20 समिट का भी जिक्र किया। एस जयशंकर ने कहा कि भारत का ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ का दृष्टिकोण केवल कुछ लोगों के संकीर्ण हितों पर नहीं, बल्कि कई लोगों की प्रमुख चिंताओं पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करता है।
उन्होंने कहा कि जी20 में अफ्रीकी संघ के शामिल होने से संयुक्त राष्ट्र को सुरक्षा परिषद को भी समसामयिक बनाने की प्रेरणा मिलनी चाहिए।जयशंकर ने कहा, हम उत्तर-दक्षिण विभाजन और पूर्व-पश्चिम ध्रुवीकरण को पाटने और दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों को आज मानवता के सामने आने वाली चुनौतियों का सामना करने और उनका हल करने के लिए प्रोत्साहित करने में सफल रहे। एस जयशंकर ने भारत की तरक्की को लेकर कहा कि गुटनिरपेक्षता के युग से, अब हम विश्व मित्र के युग में पहुंच गए हैं। जब हम लीडिंग पावर बनने की आकांक्षा रखते हैं। हम बड़ी जिम्मेदारी लेने और अपना योगदान देने के लिए तैयार हैं। जयशंकर ने कहा, ‘हमें वैक्सीन को लेकर किए गए भेदभाव को फिर से दोहराने की इजाजत नहीं देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि क्लाइमेट एक्शन के जरिए अपनी ऐतिहासिक जिम्मेदारियों से भी बचा नहीं जा सकता। जयशंकर ने आगे कहा कि बाजार की ताकत का इस्तेमाल कर भोजन और ऊर्जा को गरीब से अमीरों तक नियंत्रित नहीं किया जाना चाहिए। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में कनाडा का नाम लिए बिना उसे जमकर लताड़ लगाई। कनाडा के साथ चल रही तनातनी के बीच एस जयशंकर ने कहा कि राजनीति के लिए आतंकवाद को बढ़ाना गलत है। उन्होंने कहा कि सियासी सहूलियत के हिसाब से आतंकवाद, चरमपंथ और हिंसा पर एक्शन नहीं लेना चाहिए। अपनी सहूलियत के हिसाब से क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान और आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं हो सकता।