तमिलनाडु में प्लास्टर ऑफ पेरिस (PoP) से बनी भगवान गणेश की मूर्तियों पर लगी रोग जारी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ऐसी मूर्तियों की बिक्री पर मद्रास हाई कोर्ट की ओर से लगाई गई रोक में दखल देने से मना कर दिया है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI)डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने मद्रास हाई कोर्ट के आदेश में दखल देने से इनकार किया है। इस तरह से राज्य में ऐसी मूर्तियों की बिक्री पर जारी रोक आगे भी लागू रहेगी और ऐसी मूर्तियों के कलाकार इसे श्रद्धालुओं को इन्हें नहीं बेच सकेंगे।
आप प्राकृतिक मिट्टी का इस्तेमाल कर सकते थे-सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा है, ‘आप प्राकृतिक मिट्टी का इस्तेमाल कर सकते थे। माफ करें, हम हस्तक्षेप नहीं कर सकते। हम एक विस्तृत आदेश पारित करेंगे।’ सर्वोच्च अदालत का यह फैसला गणेश चुतुर्थी त्योहार की शुरुआत के एक दिन पहले आया है। भगवान गणेश की जयंती के अवसर पर इस बार यह त्योहार 19 सितंबर से शुरू हो रहा है।
हाई कोर्ट की डबल बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश पर लगाई थी रोक
सुप्रीम कोर्ट में मद्रास हाई कोर्ट की एक डिविजन बेंच के आदेश के खिलाफ यह याचिका डाली गई थी। उस बेंच ने हाई कोर्ट के सिंगल जज की बेंच के उस फैसले पर रोक लगा दी थी, जिसने राज्य में प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी गणेश मूर्तियों की बिक्री की अनुमति दे दी थी।
वर्षों से ऐसी मूर्तियां बनाने की दी गई दलील
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के कलाकारों की ओर से पेश होते हुए वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने अदालत से कहा कि ऐसी मूर्तियां वे वर्षों से बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि ‘इसके लिए उन्होंने लोन लिए हैं। कृप्या इसपर विचार किया जाए।’
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाइडलाइंस को लेकर भी हुई बहस
दीवान ने दलील दी कि हाई कोर्ट के सिंगल बेंच ने कहा था कि मूर्तियों के निर्माण पर पाबंदी नहीं लगाई जा सकती और पाबंदी सिर्फ प्लास्टर ऑफ पेरिस वाली मूर्तियों के विसर्जन पर है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की गाइडलाइंस भी गणेश चतुर्थी के दौरान सिर्फ मूर्तियों के विसर्जन को लेकर थी।
लेकिन, वकील अमित आनंद तिवारी ने उनकी दलीलों का यह कहकर विरोध किया कि सीपीसीबी की गाइडलाइंस में प्लास्टर ऑफ पेरिस वाली मूर्तियों के निर्माण पर भी रोक है। उन्होंने कहा कि बोर्ड की गाइडलाइंस के मुताबिक इको-फ्रेंडली पदार्थों से बनी मूर्तियां भी निजी जल टैंकों में विसर्जित की जानी हैं, सार्वजनिक जलकरों में नहीं।