बेंगलुरु : ऐसा लगता है कि इंडियन एयरफोर्स (आइएएफ) ने अब सिर्फ रिकॉर्ड और इतिहास बनाने की ठान ली है। 25 जून को फाइटर जेट सुखोई के साथ सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस ने उड़ान भरी तो ठीक छह दिन के बाद ही और गुड न्यूज आइएएफ के हिस्से आई है। देश में बने लाइट कॉम्बेट जेट तेजस को तीन दशकों के बाद इंडियन एयरफोर्स में शामिल कर लिया गया।
आइएएफ की 45वीं स्क्वाड्रन
एक जुलाई यानी शुक्रवार को बेंगलुरु में एक सादे कार्यक्रम के तहत तेजस की स्क्वाड्रन जिसे ‘फ्लाइंग डैगर्स’ नाम दिया गया है, उसे एयरफोर्स में शामिल कर लिया गया। तेजस के दो वर्जन एसपी1 और एसपी2 को इंडियन एयरफोर्स में इसकी 45वीं स्कवाड्रन के तौर पर शामिल किया गया है।
मिग-21 को करेगा रिप्लेस
तेजस चौथी पीढ़ी का हल्का मल्टी रोल सुपरसोनिक सिंगल इंजन वाला फाइटर जेट है। इसे एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी यानी एडीए और हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड यानी एचएएल ने मिलकर तैयार किया है। यह फाइटर जेट रशियन फाइटर जेट मिग-21 की जगह लेंगा।
बेंगलरु से शिफ्ट होगा सुलूर
तेजस का आइएएफ में शामिल होने के बाद अब पायलट्स इसे और करीब से जान सकेंगे। तेजस की स्क्वाड्रन पहले दो वर्षों में बेंगलुरु में होगी तो वहीं बाद में इसे तमिलनाडु के सुलूर में शिफ्ट कर दिया जाएगा। अब आइएएफ एडीए और एचएएल की टीम के साथ मिलकर किसी भी तरह की समस्या को दूर कर सकेगी।
अब तक कोई क्रैश नहीं
जनवरी 2001 से अब तक तेजस ने 3100 टेस्ट फ्लाइट्स की हैं। सबसे दिलचस्प बात है कि इतनी टेस्ट फ्लाइट्स के बावजूद किसी भी तरह का कोई एक्सीडेंट या फिर क्रैश तेजस के हिस्से दर्ज नहीं हुआ है। यह दुनिया के किसी भी फाइटर जेट के लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं है। तेजस की तुलना फ्रांस के फाइटर जेट मिराज 2000, अमेरिका के एफ-16 और स्वीडन के ग्रिपेन से होती है।