चण्डीगढ़ : हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने आज लौहगढ़, जिला यमुनानगर में महान शहीद बाबा बन्दा सिंह बहादुर के 300वें शहीदी वर्ष के अवसर पर अनेकों घोषणाएं की। इन घोषणाओं में लौहगढ़ के पास शहीद बाबा बन्दा सिंह बहादुर के नाम से मार्शल आर्ट स्कूल की स्थापना, बाबा बन्दा सिंह बहादुर के राज्य की तत्कालीन राजधानी लौहगढ़ को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना शामिल है।
मुख्यमंत्री ने यह घोषणाएं यमुनानगर जिले के लौहगढ़ में महान शहीद बाबा बन्दा सिंह बहादुर के 300वें शहीदी वर्ष पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में शहीदी यात्रा का स्वागत करने के उपरान्त की। उन्होंने गुरुद्वारा लौहगढ़ में मत्था टेका व शहीद बाबा बन्दा सिंह बहादुर को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
उन्होंने यह भी घोषणा की कि आदिबद्री के आध्यात्मिक और पुरातत्व महत्व को देखते हुए इसे भी पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर एवं ऐतिहासिक लौहगढ़ को भी विकसित किया जाएगा। सरस्वती नदी के उद्गम स्थल आदिबद्री को लौहगढ़ से जोडऩे के लिए तीन किलोमीटर लम्बी सडक़ भी बनाई जाएगी। लौहगढ़ में वर्ष पर्यन्त पानी सप्लाई के लिए डैम बनाया जाएगा। गांव भगवानपुर और लौहगढ़ को आपस में जोडऩे के लिए सोम नदी के ऊपर पुल व लगभग दो किलोमीटर लम्बी सडक़ बनाई जाएगी।
इसके अलावा, हिमाचल और हरियाणा सीमा के पास किले की दीवार जैसा दिखने वाला एक फाकेड बनाया जाएगा। इस सम्बन्ध में हिमाचल सरकार से भी बातचीत की जाएगी। उन्होंने गांव भगवानपुर में विकास के लिए एक करोड़ रुपये की राशि देने की भी घोषणा की। इसके साथ ही उन्होंने नवदुर्गा शक्ति मन्दिर पीठ के विकास के लिए भी घोषणा की।
उन्होंने कहा कि बाबा बन्दा सिंह बहादुर के शहादत के 300 वर्ष पूरे होने पर 31 मई से उनकी तपोस्थली जम्मू-कश्मीर के रियासी जिला राजौरी से रवाना हुई इस यात्रा ने कल पंचकूला से हरियाणा में प्रवेश किया है। आज अम्बाला से होती हुई यहां लौहगढ़ साहिब में पहुंची है। हरियाणा में यह यात्रा आठ दिन तक प्रदेश के विभिन्न जिलों से होती हुई 9 जून को फरीदाबाद पहुंचेगी और उसके बाद दिल्ली के महरौली क्षेत्र में पहुंचेगी, जहां बाबा बन्दा सिंह बहादुर की शहादत हुई थी। इस शोभा यात्रा से जन-जन को महान यौद्घा बाबा बन्दा सिंह बहादुर जी के महान व्यक्तित्व के बारे में जानकारी मिलेगी।
मनोहर लाल ने कहा कि हालांकि बाबा बन्दा सिंह बहादुर की शहादत को लगभग 300 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन उनकी शहादत युगों-युगों तक अन्याय, शोषण और ज़ुल्म के विरुद्ध संघर्ष करने तथा कुर्बानी देने के लिए प्रेरित करती रहेगी। उन्होंने कहा कि वे महान शासक, साहसी यौद्घा तथा मानवता के सच्चे हितैषी थे। उन्होंने गुरु नानक देव से लेकर गुरु गोबिन्द ङ्क्षसह की शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाकर आम आदमी के उत्थान के लिए काम किया। गुरु गोबिन्द सिंह द्वारा बाबा बन्दा सिंह बहादुर को अपनी सेना का नेतृत्व दिया गया। उन्होंने एक बेहतरीन योद्घा और एक साहसिक सेनापति होने का परिचय दिया। बाबा बन्दा सिंह बहादुर ने धार्मिक कट्टïरता, अन्याय, शोषण और जुल्म के विरुद्घ मुगल राजाओं से अनेक लड़ाइयां लड़ीं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाबा बन्दा सिंह बहादुर ऐसे पहले सिक्ख जरनैल थे, जिन्होंने मुगलों के अजेय होने का भ्रम तोड़ा। छोटे साहबजादों की शहीदी का उन्होंने बदला लिया। वह पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने मुगलों के अत्याचारी शासन को हिलाया और सिक्खों की विजय का प्रथम चरण पूरा किया। उन्होंने मई, 1710 में सरहिन्द को विजय कर सिक्ख राज्य की स्थापना की। उस समय इस राज्य की राजधानी लौहगढ़ थी। सिक्ख राज्य की सीमाएं पंजाब से लेकर वर्तमान हरियाणा के सढौरा, थानेसर, कैथल और करनाल तक थी। उन्होंने भारतीय संस्कृति, धर्म और सभ्यता की रक्षा के लिए न केवल अपने चार वर्षीय सुपुत्र बाबा अजय सिंह को कुर्बान कर दिया, बल्कि अनेक कष्ट सहते हुए खुद भी ‘‘वाहे गुरु’’ को याद करते-करते शहीद हो गये।
मनोहर लाल ने कहा कि बाबा बन्दा सिंह बहादुर धर्मनिरपेक्षता की प्रतिमूर्ति थे। उनकी विचारधारा ‘सर्वधर्म समभाव’ की थी और वे हिन्दू हो या मुसलमान, सभी को ‘सिंह’ कहकर बुलाते थे। उनकी सेना में सभी धर्मों के लोग थे। बाबा ने सबसे महत्त्वपूर्ण काम जमींदारी प्रथा को समाप्त करने का किया। उन्होंने गुरु नानक देव के ‘‘ज़मीन वाहक की है’’ संदेश को अमलीजामा पहनाने की कोशिश की। उन्होंने किसानों के हितों के लिए नई भू-राजस्व व्यवस्था कायम की। जिसके तहत राज्य केवल कुल उत्पाद का एक तिहाई भाग ही रखता था, जबकि तत्कालीन शासनकाल के दौरान भू-राजस्व का 50 प्रतिशत हिस्सा देना पड़ता था।
मुख्यमन्त्री ने कहा कि लौहगढ़ के लिए आज का दिन हमेशा यादगार रहेगा। बाबा बन्दा सिंह बहादुर का इतिहास विलुप्त होता जा रहा था। इसे आने वाली पीढिय़ों को प्रेरणा के लिए दोबारा उजागर किया जा रहा है ताकि आने वाली पीढिय़ां उनके पद चिन्हों पर चलकर कुछ महान कार्य कर सकें और अपने जीवन को सार्थक बना सकें। बाबा बन्दा सिंह बहादुर ने मुगलों से लड़ाई करके देश की आजादी की पहली नींव रखी थी, परन्तु मुगलों से छुटकारे के बाद देश को अंग्रेजों ने हथिया लिया। बाबा बन्दा सिंह बहादुर हमेशा समाज व देश के लिए जिए, हमें भी उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।
हरियाणा विधानसभा के स्पीकर कंवर पाल ने समारोह में बोलते हुए कहा कि बाबा बन्दा सिंह बहादुर व गुरू गोबिन्द सिंह ने जुल्म के खिलाफ वीरता से लड़ाई लड़ी। उन्होंने कहा कि हमें अपने पूर्वजों पर गर्व करना चाहिए और यदि नेता व जनता की सोच अच्छी होगी तो देश आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमन्त्री मनोहर लाल लौहगढ़ के विकास के लिए प्रयत्नशील है और शीघ्र ही यह क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से विकसित होगा।
हरियाणा के मुख्य संसदीय सचिव एवं नारायणगढ़ के विधायक नायब सिंह सैनी, मुख्य संसदीय सचिव बख्शीश सिंह विर्क ने भी बाबा बन्दा सिंह बहादुर को एक महान सेना नायक बताते हुए उन्हें अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। उन्होंने कहा कि हरियाणा की धरती ऐतिहासिक धरती रही है और मुख्यमन्त्री मनोहर लाल ने आदिबद्री क्षेत्र के विकास के लिए सरस्वति हेरिटेज बोर्ड का गठन किया है और अब लौह गढ़ क्षेत्र को भी विकसित किया जा रहा है।
सढौरा के विधायक बलवन्त सिंह ने बाबा बन्दा सिंह बहादुर की 300साला शहीदी यात्रा के कार्यक्रम में पहुंची भारी संगत व महानुभावों का स्वागत करते हुए कहा कि हरियाणा प्रदेश में सबका साथ-सबका विकास नारे के साथ समान रूप से विकास हो रहा है और इस क्षेत्र के विकास के लिए मुख्यमन्त्री विशेष रूचि ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि लौहगढ़ में मुख्यमन्त्री ने पहले भी खुले मन से मांगे मंजूर की थी और अब उन मांगों को अमलीजामा पहनाने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश के नाहन के विधायक एवं पूर्व मन्त्री राजीव बिन्दल ने समारोह में बोलते हुए कहा कि लौहगढ़ में नए इतिहास की रचना हो रही है। हरियाणा के मुख्यमन्त्री मनोहर लाल इस ऐतिहासिक धरती पर इतिहास लिखकर बाबा बन्दा सिंह बहादुर को जीवित करने का कार्य कर रहे हैं। यहां पर ऐतिहासिक स्मारक बनाने का हरियाणा सरकार का अहम निर्णय है और हरियाणा सरकार मुख्यमन्त्री के नेतृत्व में लौहगढ़ के इतिहास व विकास को प्रवाह देने में निरन्तर लगे हुए हैं।
बाबा बन्दा सिंह बहादुर के दसवें वंशज बाबा जितेन्द्र पाल सिंह सोढी ने कहा कि बाबा बन्दा सिंह बहादुर एक क्रांतिकारी युग लेकर आए थे और गुरू गोबिन्द सिंह के प्रति समर्पित होकर जुल्म व जबर का खत्मा किया था, जमींदारा निजाम को समाप्त किया व हलीमी राज की स्थापना की। उन्होंने खेत पर हल चलाने वाले को ही जमीन का मालिकाना हक प्रदान किया व धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा दिया। समारोह में गुरूद्वारा लौहगढ़ व अन्य धार्मिक संस्थाओं की ओर से मुख्यमन्त्री व अन्य महानुभावों को शिरोपा व श्रीसाहिब देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए लंगर का विशेष प्रबन्ध किया गया।
इस अवसर पर मुख्य संसदीय सचिव एवं रादौर के विधायक श्याम सिंह राणा, यमुनानगर के विधायक घनश्याम दास अरोड़ा, शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबन्धक कमेटी यमुनानगर के सदस्य बलदेव सिंह कायमपुरी, एसजीपीसी पौंटा सहिब के सदस्य सरदार जोगा सिंह, हरपाल सिंह चीका, शिव शंकर पाहवा, बाबा सुखा सिंह, महंत कर्मजीत सिंह, वेदप्रका मक्कड़, शहीदी यात्रा के राज्य कन्वीनर गुरविन्द्र सिंह धमीजा, जिला कन्वीनर सतविंदर पाल सिंह चावला, उपायुक्त डा. एसएस फूलिया, पुलिस अधीक्षक सुमेर प्रताप सिंह सहित जिला प्रशासन के समस्त अधिकारी व भारी संख्या में संगत उपस्थित थे।