मणिपुर के हालात पर संसद में चर्चा जारी है.
विपक्ष लगातार सत्त पक्ष पर हमला कर रहा है. वह संसद में केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया. इस मुद्दे को लेकर आरपार की जंग जारी है. वहीं मणिपुर की बात करें तो वहां पर एक और बहस छिड़ी हुई है. यह असम रायफल्स और स्थानीय पुलिस के बीच की है. मणिपुर पुलिस ने कुछ मामले में असम रायफल्स पर गंभीर आरोप लगाए हैं. यहां तक कि एफआईआर भी दर्ज की है. इस मामले में सेना को बयान जारी करना पड़ा है. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला
स्थानीय पुलिस का रास्ता रोका
मणिपुर में 3 मई से हिंसा का दौर जारी है. उसे रोकने के लिए राज्य पुलिस के अलावा असम रायफल्स और सेना की अन्य टुकड़ियां जमीन पर तैनात हैं. इस बीच बीते सप्ताह मणिपुर पुलिस ने असम रायफल्स पर एक एफआईआर दर्ज की है. इसमें आरोप लगाया है कि दो गुटों के बीच हिंसा जारी थी. इस बीच असम रायफल्स ने स्थानीय पुलिस का रास्ता रोक लिया. इसके साथ काम में व्यवधान पैदा किया. असम रायफल्स ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि हम कुकी-मैइती इलाकों में हिंसा को रोकने के लिए बफर जोन बनाने के आदेश का पालन कर रहे थे.
पुलिस और असम रायफल्स की लड़ाई ने अब राजनीतिक रंग ले लिया है.
राज्य की भाजपा अध्यक्ष ने पीएम मोदी से अपील की है कि असम रायफल्स की जगह किसी और सुरक्षाबल की यूनिट को यहां पर तैनात किया जाए. इस तरह से हालत में सुधार आएगा. भाजपा यूनिट ने लिखा कि राज्य में पहले दिन से असम रायफल्स के काम करने तौर तरीके पर सवाल खड़ा किया है. असम रायफल्स शांति स्थापित करने में फेल साबित हुई है. ऐसे में असम रायफल्स को यहां की जिम्मेदारी से मुक्त किया जाना चाहिए.
छवि को खराब करने की कोशिश: सेना
सेना की ओर से मंगलवार को एक बयान सामने आया है. उसका कहना है कि वह असम रायफल्स के साथ मिलकर मणिपुर में शांति स्थापित करने की कोशिश में लगी है. सेना का कहना है कि असम रायफल्स की छवि को खराब किया जा रहा है. जबकि असम रायफल्स जमीन पर उतर कर हिंसा से प्रभावित क्षेत्र में हालात सामान्य करने की कोशिश में है.