यूपीआई यानी यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस पिछले 7 साल में काफी लोकप्रिय हुआ है। इसने हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में छोटे-बड़े भुगतान में काफी मदद की है। UPI की वजह से ही भारत का डिजिटल पेमेंट आज दुनिया के 50 से ज्यादा देशों में अपनाया जा रहा है या फिर अपनाए जाने की तैयारी चल रही है। अमेजन ने डिजिटल पेमेंट की एक और नई टेक्नोलॉजी विकसित की है, जो UPI को आने वाले समय में रिप्लेस कर सकती है। अमेजन ने अपनी इस सर्विस का नाम Amazon One रखा है, जिसमें केवल हाथ दिखाने से ऑनलाइन पेमेंट किया जा सकेगा। अमेजन की यह सर्विस यूजर के हाथों के मूवमेंट के आधार पर काम करेगी।
कैसे काम करेगी यह तकनीक? जिस तरह से UPI पेमेंट करने के लिए पेमेंट प्लेटफॉर्म एक यूनिक क्यू आर कोड जनरेट करते है, ठीक उसी तरह ही One Service के लिए भी हाथों का इस्तेमाल होता है। हमारी उंगलियों के निशान और रेटिना (बायोमैट्रिक्स) की तरह ही हथेली भी यूनिक होती है। दुनिया में हर इंसान की हथेली एक-दूसरे से अलग होगी। अमेजन ने इसी आधार पर यह टेक्नोलॉजी डेवलप की है। इस टेक्नोलॉजी के जरिए पेमेंट करने के लिए यूजर्स को पहले अपनी हथेली रजिस्टर करानी होती है। इसके बाद ही पेमेंट किया जा सकता है।
अमेजन वन सर्विस की शुरुआत एक फूड स्टोर शॉप पर की गयी है, जिसे फिलहाल कुछ देशों में केवल प्राइम मेंबर्स के लिए लाया गया है। इसे पूरी तरह से टेस्ट करने के बाद अन्य स्टोर्स और देशों में लॉन्च किया जा सकता है। हालांकि, भारत में इस टेक्नोलॉजी को अभी नहीं लाया गया है, लेकिन भविष्य में इसे लाया जा सकता है। इसे इस्तेमाल करने के लिए यूजर्स को स्टोर में मौजूद अमेजन वन कियोस्क पर रजिस्टर करना होगा। रजिस्ट्रेशन प्रकिया पूरा करने के लिए यूजर्स को अपने डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करना होगा। इसके अलावा अपने मोबाइल नंबर का इस्तेमाल करके यूजर्स अपनी हथेली को वेव करके यानी हाथ दिखाकर पेमेंट कर सकेंगे।
क्यों है सुरक्षित? जिस तरह हर शख्स के फिंगरप्रिंट और रेटिना यूनिक होते हैं, ठीक उसी तरह लोगों की हथेली भी यूनिक होती है। रेटिना और फिंगरप्रिंट की तरह ही हथेली भी एक नया बायोमैट्रिक सिक्योरिटी फीचर माना जा रहा है। हथेली स्कैन करके डिजिटल या ऑनलाइन पेमेंट करना जितना सुगम होगा उतना ही यह सुरक्षित भी हो सकता है। किसी भी क्यूआर कोड स्कैनिंग या यूपीआई पेमेंट करने के लिए यूजर्स के पास स्मार्टफोन का होना जरूरी है। स्मार्टफोन को हैक करना साइबर अपराधियों के लिए बेहद आसान है। ऐसे में यूजर्स की बैंकिंग डिटेल्स साइबर अपराधी के हाथ लग सकती हैं, लेकिन हाथ दिखाने जैसे बायोमैट्रिक तरीके के लिए आपके पास स्मार्टफोन रहे या न रहे इसका फर्क नहीं पड़ता है। यूजर को पेमेंट करने के लिए उनकी हथेली की जरूरत होगी।
बायोमैट्रिक पेमेंट की तकनीक होने की वजह से इसे हैक करना लगभग नामुमकिन है। बिना हाथ दिखाए पेमेंट नहीं किया जा सकेगा, जिसके लिए यूजर को फिजिकली उपस्थित रहना पड़ेगा। इसका मतलब है कि साइबर अपराधी यूजर को वित्तीय तौर पर नुकसान नहीं पहुंचा सकेंगे। हालांकि, अभी यह टेक्नोलॉजी शुरुआती फेज में है, ऐसे में इसे अपनाने में भी अन्य डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म की तरह ही समय लग सकता है। तेजी से बढ़े डिजिटल ट्रांजैक्शन भारत में ऑनलाइन या डिजिटल ट्रांजैक्शन को देखें तो पिछले 6 साल में ये तेजी से बढ़े हैं। सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, 2022-23 वित्त वर्ष में भारत में करीब 9,192 करोड़ डिजिटल ट्रांजैक्शन किए गए। 2016 में हुई नोटबंदी के बाद यह अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। 2017-18 वित्त वर्ष में भारत में 2,071 करोड़ डिजिटल ट्रांजैक्शन किए गए, जो पिछले 6 साल में लगभग 4.5 गुना ज्यादा बढ़ गया है। डिजिटल ट्रांजैक्शन करना अब बेहद आसान हो गया है। इसके लिए नई टेक्नोलॉजी के साथ-साथ सशक्त टेलीकॉम नेटवर्क, स्मार्टफोन यूजर्स की बढ़ती संख्या का भी अहम योगदान रहा है।
2017-18 में जहां 4जी नेटवर्क मैट्रो शहरों के साथ-साथ देश के छोटे शहरों, कस्बों और गावों तक पहुंच गया था। सस्ता डेटा प्लान और टेलीकॉम कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा ने भी कहीं न कहीं डिजिटल ट्रांजैक्शन को फायदा पहुंचाया है। इस दौरान देश में केवल 40 प्रतिशत लोग स्मार्टफोन इस्तेमाल करते थे। अब, यह आंकड़ा 70 प्रतिशत से ज्यादा पहुंच गया है। अमेजन की नई टेक्नोलॉजी के लिए न तो स्मार्टफोन और न ही सस्ते डेटा की जरूरत होगी। हालांकि, यह तकनीक मौजूद क्यूआर कोड और यूपीआई प्रणाली के मुकाबले महंगी साबित हो सकती है।