बिहार के कटिहार में बिजली की बदहाल व्यवस्था को लेकर उग्र प्रदर्शन के बाद बवाल मच गया. पुलिस ने हवाई फायरिंग की तो तीन लोग घायल हो गए, जिसमें से 2 युवक दम तोड़ चुके हैं. मृतकों की पहचान खुर्शीद आलम और सोनू कुमार के रूप में की गई है.
2 लोगों की मौत ने बिहार पुलिस को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है. आइए जानते हैं कि पुलिस के प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग करने के लिए क्या नियम है.
कब और किन परिस्थितियों में पुलिस प्रदर्शनकारी भीड़ पर फायरिंग कर सकती है?
सबसे पहले भीड़ को गैर-कानूनी गतिविधियों के लिए चेतावनी दी जानी चाहिए और उन्हें घटनास्थल से हटने के लिए कहा जाना चाहिए. अगर भीड़ बार-बार कहे जाने के बावजूद बात नहीं मान रही है तो उसके खिलाफ आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके बाद भी अगर भीड़ डटी रहती है तो घटनास्थल पर पानी फेंककर भीड़ को तितर-बितर किया जा सकता है. अगर इन सभी तरीकों के बाद भी भीड़ नहीं हटती है, लोग हिंसा पर उतारू हो गए है और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हैं. इस स्थिति में पुलिस फायरिंग कर सकती है.
आईपीसी की धारा 100 और 103 इस कार्रवाई का अधिकार देती है. पुलिस की ओर से की गई फायरिंग का कतई ये मतलब नहीं है कि लोगों को जान से मार दिया जाए. सशस्त्र बलों को इस दौरान जिलाधिकारी की आज्ञा का पालन करना चाहिए. अगर जिलाधिकारी से संपर्क नहीं हो पा रहा है तो सशस्त्र बलों की टीम अपनी बटालियन के प्रमुख के आदेशों का पालन कर सकती है.
क्या है पूरा मामला
दरअसल, बिहार के कटिहार जिले में खराब बिजली व्यवस्था को लेकर बुधवार (26 जुलाई) को ग्रामीण और प्रतिनिधि बारसोई प्रखंड कार्यालय परिसर में धरना प्रदर्शन कर रहे थे. इस दौरान एक हजार से ज्यादा प्रदर्शन कर रहे लोग अचानक आक्रोशित हो गए. आक्रोशित लोगों को कंट्रोल करने के लिए पहुंची पुलिस ने लाठीचार्ज और हवाई फायरिंग की. प्रदर्शन कर रहे कई लोग घायल हो गए, जिसमें तीन लोगों को गोली लग गई थी. इस घटना में दो लोगों की मौत हो गई है हालांकि यह मौत गोली लगने से हुई है या पथराव में हुई है? घटना के बाद पूरे इलाके में तनाव है.