भारत सरकार ने गुरुवार को एक सरकारी नोटिस जारी कर गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है। केंद्र सरकार ने मॉनसून की स्थिति को देखते हुए यह फैसला किया है। बारिश में कमी कारण उत्पादन में कमी की आशंका बढ़ गई है।
केंद्र सरकार को डर है कि अगर सरकार के पास चावल के पर्याप्त भंडार न रहें तो अगले साल चुनाव से पहले भारत में इसकी कीमतें बढ़ जाएंगी। हालांकि केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद से अमेरिका में चावल खरीदने के लिए भगदड़ जैसी स्थिति बन गई है।
अमेरिकी की दुकानों और मॉल में भारतीय चावल खरीदने की होड़ सी मच गई है। सोशल मीडिया पर इससे जुड़े कई वीडियो वायरल हो रहे हैं जिनमें लोग स्टोर्स पर लंबी-लंबी लाइन लगाए खड़े हैं। एक तस्वीर में दिख रहा है कि स्टोर में चावल की सारी बोरियां बिक चुकी हैं और सब कुछ खाली हो गया है।
एक अन्य तस्वीर में देख रहा है कि लोग लंबी-लंबी लाइन लगाकर चावल खरीदने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। इसके अलावा एक अन्य तस्वीर में स्टोर पर नोटिस में साफ लिखा हुआ है कि वहां एक ग्राहक को एक ही चावल की बोरी मिल सकती है।
बिजनेस लाइन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में भारतीयों द्वारा संचालित किराना दुकानों ने भी मौके का फायदा उठाते हुए चावल की बोरियों की कीमत बढ़ानी शुरू कर दी है। इसमें एक एनआरआई के हवाले से कहा गया है कि चावल के 9 किलोग्राम बैग की कीमत अब 47 डॉलर है, जबकि निर्यात पर प्रतिबंध लगने से पहले यह 15-16 डॉलर पर बिक रही थीं।
आपको बताते चलें कि दुनिया भर में भारत के चावल निर्यात की हिस्सेदारी 40 फीसदी से भी अधिक है। भारत 2012 से ही दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक रहा है। यही वजह है कि भारत के चावल निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के फैसले से दुनियाभर में चावल की कीमतें बढ़ सकती हैं।
2022 के आंकड़े के मुतबाकि, भारत ने 140 से अधिक देशों को 55.4 मिलियन मीट्रिक टन चावल का निर्यात किया था। 2022-23 में अमेरिका और कनाडा ने भारत से 64,330 टन गैर-बासमती चावल का आयात किया था। पिछले साल, भारत के दो मुख्य प्रवासी बाजारों, खाड़ी देशों और यूरोप ने क्रमशः 6.95 लाख टन और 73 हजार का आयात किया था।
कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्र सरकार जल्द ही गेहूं और दाल की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए भी कई बड़े कदम उठा सकती है। इस दौरान सरकार दालों और गेहूं के कुछ किस्मों के निर्यात पर बैन लगा सकती है। इसके साथ ही केंद्र सरकार आयात और सीमा शुल्क में बदलाव जैसे कदम भी उठा सकती है।