Chandrayaan Lanch Vehicle: भारत ने शुक्रवार (14 जुलाई) को यहां एलवीएम3-एम4 रॉकेट के जरिए अपने तीसरे चंद्र मिशन-‘चंद्रयान-3’ का सफल प्रक्षेपण किया. इस अभियान के तहत यान 41 दिन की अपनी यात्रा में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर एक बार फिर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का प्रयास करेगा. ऐसा करने के साथ ही भारत चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाले अमेरिका, रूस और चीन के क्लब में शामिल हो जाएगा. चंद्रयान-3 की लैंडिंग के लिए 23 अगस्त का इंतजार करना होगा लेकिन शुक्रवार को इसका सफल प्रक्षेपण भारत के पहले अंतरिक्ष मानव मिशन गगनयान-1 के लिए बड़ी सफलता के रूप में सामने आया है.
गगनयान-1 के लिए उसी रॉकेट LVM-3 के संसोधित संस्करण का उपयोग किया जाएगा, जिससे चंद्रयान को सफलतापूर्वक सटीक कक्षा में स्थापित किया गया. शुक्रवार को चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण के बाद एलवीएम-3 के परियोजना निदेशक और लॉन्चिंग मिशन निदेशक एस मोहन कुमार ने कहा, “एलवीएम-3 ने चंद्रयान-3 को सटीक कक्षा में स्थापित कर दिया है, जिससे एक बार फिर यह साबित हो गया है कि यह इसरो का सबसे विश्वसनीय हैवी-लिफ्ट व्हीकल है.
ह्यूमन रेटेड सिस्टम का इस्तेमाल
एस मोहन कुमार ने ये भी बताया कि इस रॉकेट में कई ऐसे सिस्टम का उपयोग किया गया जो ह्यूमन रेटेड हैं. ह्यूमन रेटेड सिस्टम उसे कहा जाता है, जिसमें इंसानों को भविष्य में ले जाने के लिए सुरक्षा की विश्वसनीयता बढ़ाई जाती है. उन्होंने कहा, शुक्रवार के लॉन्च में ह्यूमन रेटेड ठोस स्ट्रैप ऑन मोटर्स का उपयोग किया. इसके साथ ही दूसरे चरण का एल110 विकास इंजन भी ह्मूयन रेटेड है.
टाइम्स ऑफ इंडिया ने इसरो प्रमुख एस सोमनाथ के हवाले से लिखा है कि गगनयान लॉन्च व्हीकल की रेटिंग लगभग पूरी हो चुकी है. प्रोपल्शन मॉड्यूल के सॉलिड, लिक्विड और क्रायोजनिक, तीनों टेस्ट सफलतापूर्वक हो चुके हैं. रॉकेट के अन्य हिसों को भी पुनः जांचा जा रहा है और उनकी गुणवत्ता परखी जा रही है, ताकि हम उन्हें ह्यूमन रेटेड कह सकें.
इसरो का ‘बाहुबली’
पीटीआई ने इसरो के हवाले से बताया है कि, चंद्रयान-3 को लॉन्च करने वाला एलवीएम3एम4 रॉकेट सफलतापूर्वक छह जटिल अभियानों को अंजाम दे चुका है. ये भारतीय और अंतरराष्ट्रीय ग्राहक उपग्रहों को ले जाने वाला सबसे बड़ा एवं भारी प्रक्षेपण यान भी है, जिसे वैज्ञानिक ‘फैट बॉय’ या ‘बाहुबली’ कहते हैं.
भारत की चंद्रमा के जिस दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग की योजना है, वहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंच पाया है. चांद की सतह पर अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कर चुके हैं लेकिन उनकी ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर नहीं हुई थी. अगर चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह पर उतरने में सफल हो जाता है, तो सॉफ्ट लैंडिंग की महारत रखने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन जाएगा.